Tenant Rights 2025 : आज के समय में लाखों लोग शिक्षा, नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में छोटे-बड़े शहरों में जाकर बसते हैं। ऐसे में वे किराए के मकानों में रहने का विकल्प चुनते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि अधिकतर किरायेदार अपने कानूनी अधिकारों से पूरी तरह अनजान होते हैं। इस अज्ञानता का फायदा कई बार मकान मालिक उठा लेते हैं और अपनी मनमानी करने लगते हैं।
अगर आप भी किराए के मकान में रहते हैं या जल्द ही किसी शहर में शिफ्ट होने की सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। भारत के कानून में किरायेदारों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिनका मकसद उन्हें सुरक्षा और न्याय दिलाना है। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 महत्वपूर्ण अधिकारों के बारे में जो हर किरायेदार को जानने चाहिए।
1. बिना लिखित नोटिस किराया नहीं बढ़ाया जा सकता
कई बार मकान मालिक अचानक किराया बढ़ा देते हैं और किरायेदार को इसका पालन करने के लिए मजबूर करते हैं। लेकिन यह पूरी तरह से गैरकानूनी है। भारतीय कानून के अनुसार, यदि मकान मालिक किराया बढ़ाना चाहता है तो उसे कम से कम 3 महीने पहले किरायेदार को लिखित रूप में सूचित करना आवश्यक है।
अगर मकान मालिक बिना नोटिस के किराया बढ़ाता है, तो किरायेदार इस मामले को रेंट कंट्रोल अथॉरिटी में ले जा सकता है। यह कानून किरायेदार को आर्थिक शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है।
2. मूलभूत सुविधाएं देना मकान मालिक की जिम्मेदारी
किरायेदार चाहे किसी भी किराए पर मकान में रह रहा हो, उसे बिजली, पानी और साफ-सफाई जैसी मूलभूत सुविधाएं मिलना उसका अधिकार है। मकान मालिक इन सुविधाओं को देने से इनकार नहीं कर सकता, क्योंकि यह उसकी कानूनी जिम्मेदारी है।
अगर मकान मालिक इन सुविधाओं को बाधित करता है या जानबूझकर बंद करवाता है, तो किरायेदार इस पर रेंट अथॉरिटी में शिकायत कर सकता है। ऐसे मामलों में मकान मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
3. बिना एग्रीमेंट के मकान से नहीं निकाला जा सकता
रेंट एग्रीमेंट न सिर्फ एक कागज का टुकड़ा होता है, बल्कि यह किरायेदार और मकान मालिक के बीच की शर्तों को स्पष्ट करता है। जब तक रेंट एग्रीमेंट में तय अवधि पूरी नहीं हो जाती, तब तक मकान मालिक किसी भी किरायेदार को जबरन मकान से नहीं निकाल सकता।
हालांकि कुछ परिस्थितियों में मकान खाली करवाया जा सकता है। जैसे अगर किरायेदार लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता, या अगर मकान मालिक को मकान किसी जरूरी काम के लिए चाहिए, तो वह 15 दिन पहले नोटिस देकर मकान खाली करवा सकता है।
4. मरम्मत ना कराने पर किराया घटवाने का हक
अगर किराए के मकान में कोई तकनीकी खराबी या मरम्मत की जरूरत है, जैसे प्लास्टर गिरना, पाइप लाइन लीकेज या बिजली की खराबी, तो उसे ठीक करवाना मकान मालिक की जिम्मेदारी होती है। अगर वह ऐसा करने में असफल रहता है, तो किरायेदार किराया घटवाने की मांग कर सकता है।
इसके लिए किरायेदार रेंट कंट्रोल अथॉरिटी में शिकायत दर्ज कर सकता है। संबंधित अधिकारी मामले की जांच करके उचित कार्रवाई करते हैं। यह अधिकार किरायेदार को मकान की खराब स्थिति के कारण होने वाली असुविधा से बचाने के लिए दिया गया है।
5. निजता का अधिकार और रसीद लेना अनिवार्य
किरायेदार का अपने कमरे या घर में निजता का अधिकार होता है। अगर रेंट एग्रीमेंट हुआ है, तो मकान मालिक बिना किरायेदार की अनुमति के उसके कमरे में प्रवेश नहीं कर सकता।
यदि किरायेदार घर पर नहीं है, तो मकान मालिक को बिना उसकी इजाजत के उसके निजी स्थान में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। इसके अलावा, किरायेदार को हर महीने किराया देते समय रसीद लेना भी अनिवार्य है।
यह रसीद भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में प्रमाण के रूप में काम आती है। कई बार मकान मालिक भुगतान से इनकार कर सकते हैं, इसलिए हर महीने किराया देते समय रसीद जरूर लें।
निष्कर्ष
किरायेदार और मकान मालिक के बीच संबंधों में पारदर्शिता और न्याय आवश्यक है। कानूनी रूप से सुरक्षित रहना और अपने अधिकारों को जानना हर किरायेदार की जिम्मेदारी है।
अगर आप भी किराए पर रह रहे हैं, तो इन 5 कानूनी अधिकारों की जानकारी आपको किसी भी प्रकार के शोषण से बचा सकती है। याद रखें, कानूनी जानकारी ही आपकी सबसे बड़ी ताकत है।
हर किरायेदार को चाहिए कि वह किसी भी रेंट एग्रीमेंट को ध्यान से पढ़े, सभी नियमों को समझे और जरूरत पड़ने पर कानूनी सलाह लेने में संकोच न करे। इससे न केवल आप अपने अधिकारों की रक्षा कर पाएंगे, बल्कि एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित जीवन भी जी सकेंगे।