School Closure News: राजस्थान सरकार ने राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य के शिक्षा विभाग ने ऐसे सभी सरकारी स्कूलों को बंद या मर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जहाँ छात्रों का नामांकन 10 या उससे कम है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य छात्रों को बेहतर सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है।
कम नामांकन वाले स्कूल होंगे मर्ज या बंद
शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश जारी किए हैं कि वे ऐसे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों की सूची तैयार करें, जिनमें छात्रों की संख्या 0 से 10 के बीच है। इन स्कूलों को नजदीकी संसाधनयुक्त सरकारी स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इससे छात्रों को स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी, खेल सामग्री, और योग्य शिक्षक जैसी बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।
शाला दर्पण पोर्टल से मिली स्कूलों की पहचान
राज्य सरकार ने शाला दर्पण पोर्टल की मदद से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की पहचान कर ली है। साथ ही ये भी निर्देश दिए गए हैं कि इन स्कूलों के नजदीक स्थित उच्च प्राथमिक या माध्यमिक स्कूलों की जानकारी भी जुटाई जाए ताकि मर्ज करने में आसानी हो।
गर्मी की छुट्टियों में पूरी होगी प्रक्रिया
शिक्षा विभाग ने यह समायोजन कार्य गर्मी की छुट्टियों में ही पूरा करने के आदेश जारी किए हैं। सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को 26 से 27 मई तक रिपोर्ट व्यक्तिगत रूप से जमा करनी होगी।
मांगी गई है विस्तृत जानकारी
प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों से निम्न जानकारियाँ मांगी हैं:
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स्कूल का नाम और पता
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वर्तमान नामांकित छात्रों की संख्या
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नजदीकी उच्च स्तर के स्कूल का विवरण
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दोनों स्कूलों के बीच की दूरी और भौगोलिक स्थिति
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भवन की वर्तमान स्थिति
इन्हीं जानकारियों के आधार पर यह तय होगा कि कौन-से स्कूल बंद होंगे और कौन-से मर्ज किए जाएंगे।
सीकर जिले के 219 स्कूलों पर संकट
सीकर जिले से मिली रिपोर्ट के अनुसार, यहां 219 स्कूलों में छात्रों की संख्या 10 या उससे कम है। इन सभी स्कूलों को बंद या मर्ज करने की संभावना है, जिससे ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ सकता है।
शिक्षकों का भी होगा स्थानांतरण
जिन स्कूलों को मर्ज किया जाएगा, वहां पर कार्यरत अधिशेष शिक्षकों को अन्य जरूरतमंद स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। इससे राज्य की शिक्षक व्यवस्था में संतुलन लाने की कोशिश की जाएगी।
सरकार का उद्देश्य – गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
राज्य सरकार का कहना है कि यह निर्णय छात्रों के हित में है। मर्ज किए गए स्कूलों में बच्चों को बेहतर संसाधन और सुविधाएं मिलेंगी, जिससे वे आगे की पढ़ाई में बेहतर कर सकेंगे। सरकार का लक्ष्य है कि हर छात्र को गुणवत्तापूर्ण और बराबर शिक्षा मिले, चाहे वह किसी भी क्षेत्र में रहता हो।
निष्कर्ष:
राजस्थान सरकार की यह नई पहल ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और शिक्षा में संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।