RBI Guidelines 2025 : आज के समय में लोन लेना सामान्य बात हो गई है। कोई घर खरीदने के लिए लोन लेता है, तो कोई बच्चे की पढ़ाई, व्यवसाय शुरू करने या मेडिकल इमरजेंसी के लिए। लेकिन जब हालात बिगड़ते हैं, जैसे नौकरी जाना, व्यापार में नुकसान या स्वास्थ्य समस्याएं, तो लोन की किस्त चुकाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मानसिक तनाव के साथ-साथ बैंक और रिकवरी एजेंटों का दबाव और परेशानी झेलना आम हो जाता है।
इन्हीं स्थितियों को ध्यान में रखते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने हाल ही में लोनधारकों के हितों की रक्षा के लिए कुछ सख्त और स्पष्ट दिशा-निर्देश (guidelines) जारी किए हैं। इन गाइडलाइंस का मकसद है कि कोई भी लोनधारक अनुचित व्यवहार या मानसिक उत्पीड़न का शिकार न हो और वित्तीय संस्थाएं मानवता और कानून के दायरे में रहकर ही वसूली करें।
अब नहीं होगा दुर्व्यवहार, जानिए नए नियमों का सार
RBI के निर्देश के अनुसार अब कोई भी बैंक या उसका अधिकृत एजेंट लोन वसूली के दौरान:
-
अपमानजनक भाषा का प्रयोग नहीं कर सकता
-
डराने-धमकाने या जबरदस्ती घर में घुसने की कोशिश नहीं कर सकता
-
लोनधारक के परिवार या मित्रों को परेशान नहीं कर सकता
-
किसी भी हालत में रात 7 बजे के बाद कॉल या विज़िट नहीं कर सकता
रिकवरी एजेंट के कॉल और विज़िट का समय निर्धारित
अब बैंक या रिकवरी एजेंट केवल सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही संपर्क कर सकते हैं। छुट्टी के दिन या त्योहारों पर कोई भी जबरदस्ती नहीं की जा सकती। अगर कोई एजेंट इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो लोनधारक को पूरा अधिकार है कि वह इसकी शिकायत बैंक या पुलिस में दर्ज कराए।
EMI न भर पाने पर कितनी छूट मिलती है?
अगर कोई लोनधारक लगातार EMI नहीं चुका पा रहा है, तो बैंक पहले नोटिस भेजता है और 90 दिन का समय देता है ताकि ग्राहक अपने भुगतान को री-शेड्यूल करवा सके या समाधान निकाल सके। अगर स्थिति नहीं सुधरती तो बैंक दूसरा नोटिस भेजता है जिसमें नीलामी की चेतावनी होती है। लेकिन इस दौरान भी बैंक कोई भी अनैतिक कदम नहीं उठा सकता।
लोनधारकों के कानूनी अधिकार क्या हैं?
अगर कोई रिकवरी एजेंट गलत व्यवहार करता है, तो लोनधारक:
-
पुलिस में FIR दर्ज करा सकता है
-
बैंक के ग्राहक सेवा विभाग में शिकायत कर सकता है
-
RBI के शिकायत पोर्टल पर केस दर्ज कर सकता है
इसके लिए जरूरी है कि पीड़ित व्यक्ति के पास कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेज का स्क्रीनशॉट या गवाहों के बयान जैसी प्रमाणिक जानकारी हो।
नीलामी की प्रक्रिया भी पारदर्शी होगी
यदि स्थिति ऐसी आ जाती है कि लोन चुकाना संभव नहीं है, तो बैंक केवल कानूनी प्रक्रिया से ही संपत्ति की नीलामी कर सकता है। यह प्रक्रिया न्यायालय की निगरानी में होती है। बैंक सीधे कब्जा नहीं कर सकता। नीलामी से पूर्व लोनधारक को नोटिस दिया जाता है और अपना पक्ष रखने का अवसर भी मिलता है।
अगर नीलामी में मिली राशि लोन से अधिक होती है, तो बची हुई रकम ग्राहक को लौटाई जाती है।
बैंक भी होंगे जवाबदेह
RBI ने स्पष्ट किया है कि बैंक अपने रिकवरी एजेंटों की हरकतों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार होंगे। यदि कोई एजेंट नियमों का उल्लंघन करता है, तो बैंक पर भी कार्रवाई हो सकती है। इस प्रकार अब लोनधारक केवल एजेंट से नहीं, बल्कि बैंक से भी न्याय की मांग कर सकता है।
निष्कर्ष: अधिकारों को जानें और जागरूक बनें
भारतीय रिज़र्व बैंक की नई गाइडलाइंस लोनधारकों को वित्तीय और मानसिक सुरक्षा प्रदान करती हैं। ये नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि किसी भी व्यक्ति को उसकी आर्थिक कठिनाइयों के कारण अपमानित या प्रताड़ित न किया जाए।
हर लोनधारक को यह जानना चाहिए कि वह सम्मान के साथ व्यवहार पाने का हकदार है। अगर कोई बैंक या एजेंट नियमों का उल्लंघन करता है, तो बिना डर के शिकायत करें और अपने अधिकारों का उपयोग करें।
लोन लेना एक जिम्मेदारी है, लेकिन उसका मतलब यह नहीं कि कठिनाई आने पर आपकी गरिमा से समझौता हो।