New Property Possession Law : अगर आपके पास कोई पुरानी जमीन या मकान है, और आप उसे सालों से नजरअंदाज कर रहे हैं, तो अब आपको सतर्क हो जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के एक ताजा फैसले ने Adverse Possession यानी “विपरीत कब्जा” (गैरकानूनी लेकिन शांतिपूर्ण और बिना विरोध के किया गया कब्जा) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है।
क्या है नया नियम?
अब अगर कोई व्यक्ति आपकी प्रॉपर्टी पर लगातार 12 साल तक शांतिपूर्वक कब्जा बनाए रखता है, और इस दौरान आप ने कोई आपत्ति या कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो वह व्यक्ति उस जमीन या मकान का कानूनी मालिक बन सकता है।
इस सिद्धांत को “Adverse Possession” कहा जाता है, और इसका उद्देश्य बेकार पड़ी या विवादित जमीनों का समाधान निकालना है।
किराएदार भी बन सकता है मालिक?
जी हां! अगर कोई किराएदार बिना रेंट एग्रीमेंट रिन्यू किए सालों तक आपके घर में रह रहा है, और वह बिजली-पानी के बिल, प्रॉपर्टी टैक्स, आदि के दस्तावेज दिखा देता है, तो वह 12 साल बाद मालिकाना हक का दावा कर सकता है।
पहले क्या था कानून?
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी कब्जा करने वाला व्यक्ति प्रॉपर्टी का मालिक नहीं बन सकता। लेकिन अब दो जजों की बेंच ने इसे पलटते हुए कहा कि Adverse Possession के नियमों को लागू किया जाना चाहिए।
Limitation Act, 1963 क्या कहता है?
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प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जे के लिए 12 साल का समय तय है।
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सरकारी जमीन पर कब्जा करने के लिए यह अवधि 30 साल की होती है।
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यदि इस दौरान मालिक ने कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो कब्जाधारी कानूनी रूप से मालिक माना जा सकता है।
मालिकों के लिए बड़ा खतरा!
यह फैसला प्रॉपर्टी मालिकों के लिए चेतावनी है। अगर आप अपनी जमीन की देखरेख नहीं करते, या किसी के कब्जे पर विरोध दर्ज नहीं कराते, तो वह व्यक्ति 12 साल बाद कानूनी रूप से मालिक बन सकता है।
कैसे बचें इस स्थिति से?
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अपनी प्रॉपर्टी को लंबे समय तक खाली न छोड़ें।
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समय-समय पर विज़िट करते रहें और जांच करें।
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रेंट एग्रीमेंट हर 11 महीने में रिन्यू कराएं।
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बिजली-पानी के बिल, टैक्स, आदि अपने नाम पर रखें।
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किराएदार को अस्थायी रखें, मालिक की तरह अधिकार न दें।
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कब्जा हो चुका है, तो कोर्ट से ही कानूनी रास्ता अपनाएं, खुद से हटाना अवैध है।
कोर्ट में क्या सबूत लगते हैं?
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कब्जाधारी को दिखाना होगा कि उसने 12 साल तक शांतिपूर्वक कब्जा बनाए रखा।
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मालिक को यह साबित करना होगा कि उसने विरोध दर्ज किया था।
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वसीयत या पावर ऑफ अटॉर्नी से मालिकाना हक साबित नहीं होगा।
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ज़रूरी है कि मालिक के पास कानूनी दस्तावेज और सबूत हों।
निष्कर्ष: अब सतर्क रहना ज़रूरी है
अगर आप चाहते हैं कि आपकी संपत्ति सुरक्षित रहे, तो उसे नज़रअंदाज न करें। थोड़ी सी सतर्कता, नियमित निगरानी, और कानूनी दस्तावेजों की तैयारी ही आपको बड़े नुकसान से बचा सकती है। कब्जाधारी से निपटना आसान नहीं है, इसलिए सावधानी ही बचाव है।
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(लेख को स्थानीय भाषा या कानून विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार उपयोग में लें।)