NCTE B.Ed Course 2025 : शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने बीएड और अन्य शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को लेकर नई शिक्षा नीति के तहत कई बड़े बदलावों की घोषणा की है। यह बदलाव 2025 से लागू होंगे और इनका उद्देश्य शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है।
एनसीटीई का कहना है कि भविष्य में केवल वही संस्थान बीएड कोर्स चला सकेंगे जो मल्टी-डिसिप्लिनरी यानी बहुविषयक होंगे। यानी ऐसे कॉलेज जहां बीएड के साथ-साथ बीए, बीएससी, बीकॉम जैसे अन्य पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाते हैं। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि भावी शिक्षकों को विविध विषयों का समावेशी और व्यापक माहौल मिल सके।
सिंगल फैकल्टी कॉलेजों पर असर
अब तक देशभर में कई ऐसे कॉलेज संचालित हो रहे थे जहां केवल बीएड पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाता था। लेकिन एनसीटीई के नए दिशा-निर्देशों के मुताबिक, अब इन सिंगल फैकल्टी संस्थानों को या तो बंद करना होगा या उन्हें अपने नजदीकी बहुविषयक संस्थानों में विलय करना होगा। इसका सीधा असर ऐसे कॉलेजों और उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों पर पड़ेगा, जो केवल बीएड की पढ़ाई के लिए बनाए गए थे।
एनसीटीई का मानना है कि यह कदम शिक्षक शिक्षा को एक व्यापक और समावेशी दिशा देगा। शिक्षकों को अलग-अलग विषयों के बारे में बेहतर समझ होगी, जिससे उनका शिक्षण स्तर भी बेहतर होगा।
2026 से एक वर्षीय बीएड कोर्स की वापसी
बीएड कोर्स फिलहाल दो वर्ष का होता है, लेकिन एनसीटीई ने यह भी घोषणा की है कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से एक वर्षीय बीएड कोर्स फिर से शुरू किया जाएगा। यह कोर्स केवल उन्हीं छात्रों के लिए होगा जिन्होंने चार वर्षीय स्नातक कोर्स (जैसे B.A. B.Ed या B.Sc. B.Ed) या पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा कर लिया है।
तीन साल की सामान्य डिग्री रखने वाले अभ्यर्थियों को दो वर्षीय बीएड कोर्स ही करना होगा। इसका उद्देश्य है कि उच्च शिक्षा प्राप्त छात्रों को कम समय में शिक्षक प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे जल्दी से शिक्षा क्षेत्र में योगदान दे सकें।
बीएड में प्रवेश के लिए योग्यता
बीएड कोर्स में दाखिला लेने के लिए उम्मीदवार के पास स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक होने चाहिए। अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और पिछड़ा वर्ग (OBC) के अभ्यर्थियों को अंकों में 5 प्रतिशत की छूट दी गई है।
बीएड पाठ्यक्रम में मुख्य रूप से बाल विकास, शिक्षण विधियाँ, कक्षा प्रबंधन, मूल्यांकन प्रक्रिया, शिक्षा मनोविज्ञान और स्कूल आधारित प्रायोगिक प्रशिक्षण जैसे विषय शामिल होते हैं। यह कोर्स भविष्य के शिक्षकों को एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है।
एमएड कोर्स में भी बड़ा बदलाव
एनसीटीई ने बीएड के साथ-साथ एमएड (Master of Education) कोर्स में भी अहम बदलाव किए हैं। अब एक वर्षीय एमएड कोर्स शुरू किया जाएगा। यह कोर्स विशेष रूप से उन लोगों के लिए है जो शिक्षा के क्षेत्र में पहले से कार्यरत हैं और अपनी विशेषज्ञता को बढ़ाना चाहते हैं।
एमएड कोर्स का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों को शिक्षा नीति, प्रशासन, पाठ्यक्रम विकास और नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में दक्ष बनाना है। यह कोर्स उच्च शिक्षा और शैक्षणिक प्रशासन की दिशा में करियर बनाने वाले उम्मीदवारों के लिए उपयोगी साबित होगा।
चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP)
एनसीटीई अब चार वर्षीय एकीकृत शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम (ITEP) को भी बढ़ावा दे रही है। यह कार्यक्रम बीए-बीएड, बीएससी-बीएड और बीकॉम-बीएड जैसे कोर्स को एक साथ संचालित करने का अवसर देगा। यानी विद्यार्थी स्नातक की पढ़ाई के साथ-साथ शिक्षक प्रशिक्षण भी पूरा कर सकेंगे।
ITEP कोर्स का उद्देश्य न केवल समय की बचत करना है, बल्कि एक ही कोर्स के दौरान विद्यार्थियों को शिक्षक बनने के लिए आवश्यक सभी ज्ञान और प्रशिक्षण देना है। यह कोर्स सत्र 2025-26 से शुरू किया जाएगा।
ITEP में प्रवेश राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होगा, जिसे नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) आयोजित करेगी। पहले ही कई विश्वविद्यालयों और संस्थानों को इस कोर्स के संचालन की मान्यता दी जा चुकी है।
निष्कर्ष
एनसीटीई द्वारा बीएड, एमएड और ITEP को लेकर किए गए ये नए बदलाव भारतीय शिक्षक शिक्षा प्रणाली को अधिक मजबूत, गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक बनाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य ऐसे शिक्षकों को तैयार करना है जो न केवल विषय में दक्ष हों, बल्कि विद्यार्थियों की समग्र शिक्षा में सकारात्मक भूमिका निभा सकें।
यदि आप शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं तो इन नए नियमों और बदलावों की जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है। 2025 से पहले ही इन बदलावों की तैयारी शुरू कर दें ताकि आप समय पर सही दिशा में अपने करियर की शुरुआत कर सकें।