Heavy Rain North East : भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में हाल ही में भारी बारिश और बाढ़ ने व्यापक तबाही मचा दी है। इस प्राकृतिक आपदा में अब तक 36 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लगभग 5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं। मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भी भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है, जिससे हालात और गंभीर होने का खतरा बना हुआ है।
बाढ़ और भूस्खलन से मौतों का आंकड़ा बढ़ा
पूर्वोत्तर में बाढ़ और भूस्खलन के कारण सबसे ज्यादा नुकसान असम राज्य में हुआ है, जहां 11 लोगों की मौत दर्ज की गई है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश में भी 11, मेघालय में 6, मिजोरम में 5, सिक्किम में 3 और त्रिपुरा में 1 व्यक्ति की मृत्यु हुई है। इन राज्यों में भारी बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं भी लगातार हो रही हैं, जो जान-माल के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं।
मिजोरम में भारी बारिश के कारण स्कूल बंद
मिजोरम में लगातार भारी बारिश हो रही है, जिसके कारण राज्य के 10 जिलों में सभी स्कूल चौथे दिन भी बंद रहे। राज्य के विभिन्न इलाकों में बारिश से भूस्खलन और चट्टान गिरने की घटनाएं हो रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि छात्र सुरक्षा के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है। सैतुअल जिले को छोड़कर बाकी सभी जिलों के जिला प्रशासन ने स्कूल बंद रखने की घोषणा की है। खासतौर पर आइजोल जिले के स्कूलों को भी छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बंद रखने की सलाह दी गई है।
मिजोरम में आए इस प्राकृतिक संकट में म्यांमार के तीन शरणार्थी भी अपनी जान गंवा चुके हैं। मौसम विभाग का अनुमान है कि आने वाले पांच दिनों तक हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी, इसलिए स्थानीय प्रशासन सतर्क है।
असम में बाढ़ की गंभीर स्थिति, लाखों प्रभावित
असम में बाढ़ की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। राज्य के 20 से अधिक जिलों में लगभग 5.35 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। प्रभावित क्षेत्रों में लोग अपने घरों से विस्थापित हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा से फोन पर बातचीत कर बाढ़ की स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
गुवाहाटी स्थित क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने धुबरी, दक्षिण सलमारा मानकाचर, ग्वालपारा और कोकराझार जिलों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी किया है। इसके अलावा 11 जिलों के लिए ‘येलो अलर्ट’ भी जारी है। भारी बारिश की वजह से राज्य में सड़क, रेल और नौका परिवहन प्रभावित हुआ है, जिससे आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
मणिपुर में बाढ़ से भारी नुकसान
मणिपुर में भी बाढ़ ने बहुत तबाही मचाई है। नदियों का उफान आना और तटबंध टूटने की वजह से राज्य के 56,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इस बाढ़ में 10,477 घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं। मणिपुर सरकार ने प्रभावित लोगों की मदद के लिए अब तक 57 से अधिक राहत शिविर स्थापित किए हैं, जिनमें अधिकांश शिविर इंफाल पूर्वी जिले में हैं। यह जिला राज्य का सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र माना जा रहा है।
पिछले पांच दिनों में मणिपुर में 93 भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं, जो इलाके की संवेदनशीलता को दर्शाती हैं। प्रशासन द्वारा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने और राहत कार्यों में जुटे हैं।
त्रिपुरा सरकार ने जारी किया यात्रा संबंधी एडवाइजरी
त्रिपुरा में भी भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। राज्य सरकार ने यात्रा को लेकर आवश्यक एडवाइजरी जारी की है ताकि लोग सुरक्षित रह सकें और अनावश्यक जोखिम से बचा जा सके। राज्य में बाढ़ की वजह से कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
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राहत कार्य और प्रशासन की सक्रियता
पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों की सरकारें बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। प्रभावित इलाकों में राहत शिविर बनाए गए हैं जहां भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। पुलिस, आपदा प्रबंधन एजेंसियां और स्थानीय प्रशासन मिलकर प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे हैं। केंद्र सरकार भी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और प्रभावित राज्यों को मदद का भरोसा दिया है।
भविष्य के लिए चेतावनी और सावधानी
मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी भारी बारिश की संभावना जताई है। इस कारण पूर्वोत्तर के लोग, खासकर जो बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं, उन्हें सावधानी बरतने और सरकारी निर्देशों का पालन करने की सलाह दी जा रही है। भूस्खलन और बाढ़ के कारण सड़कें बंद हो सकती हैं और यातायात प्रभावित हो सकता है, इसलिए यात्रा करते समय सतर्कता जरूरी है।
निष्कर्ष
पूर्वोत्तर भारत के लिए यह मौसम एक बड़ा चुनौतीपूर्ण समय लेकर आया है। लगातार हो रही भारी बारिश और बाढ़ ने जनजीवन को तहस-नहस कर दिया है। लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, हजारों घर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और दर्जनों लोगों की जानें गई हैं। ऐसे समय में सरकारों के साथ-साथ आम जनता का सहयोग भी बेहद जरूरी है ताकि इस प्राकृतिक आपदा से निपटा जा सके और प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके।
हमें उम्मीद है कि मौसम में सुधार होगा और राहत कार्य तेजी से आगे बढ़ेंगे। साथ ही हम सभी को भी चाहिए कि वे सतर्क रहें, सरकार और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और जरूरत पड़ने पर मदद के लिए आगे आएं। पूर्वोत्तर भारत की इस कठिन घड़ी में सबका एकजुट होना और साथ देना ही सबसे बड़ा सहारा होगा।