Banking New Rules 2025 : अगर आपका बैंक में खाता है, चाहे वह बचत खाता हो या चालू खाता, या आप नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। 1 जून 2025 से देशभर में बैंकिंग सिस्टम में कई अहम बदलाव होने जा रहे हैं, जो सीधे आपके लेन-देन, सुरक्षा और बैंकिंग अनुभव को प्रभावित करेंगे।
इन बदलावों को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और अन्य प्रमुख बैंकों ने मिलकर तैयार किया है ताकि बैंकिंग को और अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ताओं के लिए उपयोगी बनाया जा सके। आइए जानते हैं कि क्या हैं ये नए नियम, और कैसे ये आपको फायदा पहुंचा सकते हैं।
ऑनलाइन ट्रांजेक्शन अब और सुरक्षित और तेज़
डिजिटल इंडिया के दौर में आज अधिकतर लोग UPI, नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के जरिए लेन-देन करते हैं। लेकिन ऑनलाइन धोखाधड़ी (fraud) का खतरा हमेशा बना रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, 1 जून से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में अतिरिक्त सुरक्षा पर जोर दिया जाएगा।
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हर ऑनलाइन ट्रांजेक्शन अब मल्टी-लेयर सिक्योरिटी से लैस होगा।
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OTP के अलावा, फेस ऑथेंटिकेशन, बायोमेट्रिक पहचान और वॉयस वेरीफिकेशन जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।
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फ्रॉड की शिकायत मिलने पर बैंक को 48 घंटे के अंदर जवाब देना अनिवार्य होगा।
इससे उपभोक्ताओं को मानसिक शांति मिलेगी और उनका पैसा ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
बैंक चार्जेस में कटौती से खाताधारकों को राहत
अब तक कई बैंक ग्राहकों से अनजाने में मेंटेनेंस चार्ज, SMS चार्ज, और ट्रांजेक्शन फीस जैसे शुल्क वसूलते रहे हैं। लेकिन 1 जून 2025 से इनमें बदलाव किए जा रहे हैं।
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न्यूनतम बैलेंस न रखने पर लगने वाला जुर्माना कम किया जाएगा।
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UPI, NEFT और RTGS जैसे डिजिटल ट्रांजेक्शन पर लगने वाले चार्ज में कमी लाई जाएगी।
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कुछ सेवाओं पर वार्षिक शुल्क पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है।
इन बदलावों से खाताधारकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा और आम आदमी को राहत मिलेगी।
ग्राहक सेवा होगी और बेहतर
ग्राहकों की शिकायतों को समय पर सुलझाना अब बैंकों की जिम्मेदारी होगी। यदि बैंक इसमें चूक करते हैं, तो उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।
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कस्टमर केयर को शिकायत मिलने के 72 घंटे के भीतर समाधान देना होगा।
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समाधान नहीं मिलने पर ग्राहक को हर दिन ₹100 मुआवजा मिलेगा।
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24×7 हेल्पलाइन सेवा अनिवार्य होगी, खासकर ट्रांजेक्शन फेल या धोखाधड़ी की स्थिति में।
बैंकिंग सुरक्षा उपाय होंगे और मजबूत
तेजी से बढ़ते साइबर फ्रॉड को देखते हुए बैंकिंग सुरक्षा में सुधार करना बेहद जरूरी हो गया है।
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सभी बैंकिंग ऐप्स को सर्टिफाइड सिक्योरिटी चेक से गुजरना होगा।
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पुराने सिक्योरिटी सिस्टम को नए सुरक्षा मानकों के अनुसार अपडेट करना अनिवार्य होगा।
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एक ही डिवाइस से बार-बार असामान्य ट्रांजेक्शन होने पर ग्राहक को तुरंत अलर्ट मिलेगा।
इससे ग्राहक को समय रहते संभावित फ्रॉड का अंदाजा लग सकेगा।
क्लेम प्रक्रिया को बनाया जाएगा आसान
बैंक से जुड़े बीमा, फिक्स्ड डिपॉजिट और फ्रॉड क्लेम को लेकर अक्सर देरी होती है। नए नियमों के तहत अब ये प्रक्रिया आसान और पारदर्शी होगी।
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सभी क्लेम को सिर्फ 5 स्टेप्स में प्रोसेस किया जाएगा।
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क्लेम के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरना अनिवार्य होगा।
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ग्राहक मोबाइल पर क्लेम स्टेटस ट्रैक कर सकेंगे।
यह बदलाव खासकर बुज़ुर्गों, ग्रामीणों और बिजी व्यक्तियों के लिए काफी फायदेमंद होंगे।
लेन-देन की सीमा में होगा बदलाव
डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने के लिए अब ट्रांजेक्शन लिमिट भी बढ़ाई जा रही है।
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UPI की अधिकतम लिमिट ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख की जा सकती है।
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IMPS और NEFT की लिमिट में भी बढ़ोतरी होगी।
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रात में (10PM से 6AM) भी ट्रांजेक्शन लिमिट सामान्य रहेगी।
अब आपको बैंक जाने की जरूरत नहीं – आप कभी भी बड़ी राशि ट्रांसफर कर सकते हैं।
डिजिटल बैंकिंग को बनाया जाएगा और आसान
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सभी बैंकों के लिए वीडियो KYC अनिवार्य होगी।
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मोबाइल ऐप के माध्यम से 5 मिनट में डिजिटल लोन आवेदन संभव होगा।
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वरिष्ठ नागरिकों के लिए वॉयस असिस्टेड बैंकिंग सुविधा शुरू की जाएगी।
क्या करें ग्राहक?
इन नियमों से आपको अधिकतम लाभ मिले, इसके लिए जरूरी है कि आप भी तैयार रहें:
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1 जून से पहले अपने बैंक की नई शर्तें और नियम पढ़ें।
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अपने बैंकिंग ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करते रहें।
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किसी भी व्यक्ति को अपना OTP, पासवर्ड या पिन न बताएं।
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SMS और ईमेल नोटिफिकेशन को चालू रखें ताकि हर लेन-देन की जानकारी मिलती रहे।
निष्कर्ष
1 जून 2025 से शुरू हो रही ये बैंकिंग व्यवस्था न सिर्फ आधुनिक है, बल्कि ग्राहकों के हित में भी है। इन बदलावों से जहां एक ओर आपकी सुरक्षा बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर बैंकिंग अनुभव पहले से कहीं बेहतर हो जाएगा। समय रहते खुद को अपडेट रखें और इन बदलावों का भरपूर लाभ उठाएं।