Old Cases Income Tax : भारत में करदाताओं के लिए यह एक राहत भरी खबर है। अब आयकर विभाग अपनी मर्जी से पुराने टैक्स मामलों को खोलकर लोगों को अनावश्यक रूप से परेशान नहीं कर सकेगा। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के महत्वपूर्ण फैसलों और आयकर कानून में संशोधनों के बाद इस तरह की कार्यवाहियों पर रोक लग गई है। इससे ईमानदार करदाताओं को अब अनावश्यक जांच, नोटिस और कानूनी झंझटों से राहत मिलेगी।
अब मनमाने तरीके से नहीं खुलेंगे पुराने केस
अब तक आयकर विभाग के पास यह अधिकार था कि वह कई साल पुराने टैक्स मामलों को भी बिना किसी स्पष्ट कारण के दोबारा खोल सकता था। इससे कई बार ईमानदार टैक्सपेयर भी विभागीय कार्रवाइयों के शिकार हो जाते थे। लेकिन अब यह प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी, कानूनी और नियमबद्ध बन गई है।
आयकर कानून में हुए अहम बदलाव
2021 के वित्तीय अधिनियम के तहत आयकर कानून में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। खास तौर पर धारा 148ए को जोड़कर रीअसेसमेंट यानी मामलों की पुन: जांच की प्रक्रिया को काफी हद तक नियंत्रित किया गया है। अब आयकर अधिकारी बिना उचित कारण और प्रक्रिया के किसी करदाता को नोटिस नहीं भेज सकता।
अब क्या हैं नए नियम?
नए नियमों के तहत, यदि विभाग को लगता है कि किसी टैक्सपेयर्स की आय में गड़बड़ी है और पुराने केस को दोबारा खोला जाना चाहिए, तो उसे पहले:
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यह स्पष्ट करना होगा कि आखिर नया तथ्य क्या है जिसकी जानकारी पहले नहीं थी।
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टैक्सपेयर को नोटिस देने से पहले कारण बताना होगा।
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करदाता को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर देना होगा।
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तय समयसीमा के भीतर ही कार्रवाई करनी होगी।
इन सभी शर्तों को पूरा करने के बाद ही कोई पुराना केस दोबारा खोला जा सकता है।
समयसीमा में बदलाव: अब सिर्फ 3 साल
पहले आयकर विभाग छह साल तक पुराने टैक्स मामलों को खोल सकता था। लेकिन अब सामान्य मामलों में यह समयसीमा घटाकर सिर्फ तीन साल कर दी गई है। यानी, अगर आपने 2021 में आयकर रिटर्न फाइल किया है, तो वह मामला केवल 2024 तक ही दोबारा खोला जा सकता है।
गंभीर मामलों में 10 साल तक की छूट
हालांकि अगर कोई करदाता 50 लाख रुपये से अधिक की आय छुपाता है या गंभीर कर चोरी करता है, तो ऐसी स्थिति में आयकर विभाग 10 साल तक पुराने केस खोल सकता है। इसका उद्देश्य यह है कि बड़े कर चोरों पर शिकंजा कसा जा सके और आम करदाताओं को सुरक्षा मिले।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने भी इस संबंध में साफ निर्देश दिए हैं कि आयकर कानून की धारा 153ए और 147 के तहत टैक्स मामलों की दोबारा जांच तभी हो सकती है जब पुख्ता प्रमाण हों। कोर्ट ने यह भी कहा है कि विभाग बिना उचित सबूत के टैक्स में मनमाना इजाफा नहीं कर सकता।
दिल्ली हाईकोर्ट का समर्थन
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सुप्रीम कोर्ट के रुख का समर्थन करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि तीन साल से पुराने सामान्य टैक्स मामलों को दोबारा नहीं खोला जा सकता। यह फैसला करदाताओं के अधिकारों को मजबूती देने वाला माना जा रहा है और इससे देश में टैक्स कंप्लायंस को बढ़ावा मिलेगा।
करदाताओं को क्या मिलेगा फायदा?
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अब अनावश्यक टैक्स नोटिसों से राहत मिलेगी।
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विभाग अपनी मर्जी से पुराने केस नहीं खोल सकेगा।
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कानूनी सुरक्षा मजबूत होगी।
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व्यवसायियों और उद्यमियों को मानसिक तनाव से छुटकारा मिलेगा।
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कर अनुपालन करने वालों में विश्वास बढ़ेगा।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर यह बदलाव भारतीय टैक्स प्रणाली को अधिक पारदर्शी, जिम्मेदार और करदाता हितैषी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब आम करदाता यह जानकर निश्चिंत हो सकते हैं कि यदि वे ईमानदारी से टैक्स भरते हैं, तो उन्हें बेवजह परेशान नहीं किया जाएगा।
अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। कर मामलों में निर्णय लेने से पहले किसी चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स सलाहकार की सलाह अवश्य लें।